और फिर उस ने कहा, मैं चमत्कार दिखाऊँ ? उस ने हाथ हिलाया , हाथों में कुछ नहीं , हाथ जोड़े और दाहिने हाथ में चमत्कार से उत्पन्न की ‘माला’ । एकाधे बड़े व्यक्ति को चमत्कार से ऐसे ही सोने की चेन या अँगूठी देते हैं बाबा ! सामान्य व्यक्ति को प्रसाद में राख ही काफ़ी है । उस ने फिर समझाया ‘माला’ कहाँ से आयी । एक नक़ली अँगूठा कवर, जिस में वो आसानी से छिपायी जा सकती है, और निकाली जा सकती है ! बाबा जी से कभी कहिए , ‘ख़रबूज़ा’ निकाल के दिखाएँ, या १० किलो धान्य ….
नंदकिशोर, अंनिस, इन्होंने ये ‘चमत्कार’ अंनिस की एक शाखा की बैठक में कर के बताया। अंनिस के असंख्य कार्यकर्ता इस तरह प्रयोग कर के लोगों को अंधविश्वास से विवेक की और ले जा रहे हैं !महाराष्ट्र में ३०० से अधिक अंनिस की शाखाएँ हैं – इन सब के माध्यम से डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर द्वारा शुरू किया गया काम आज भी चल है ! ‘आम्ही पण दाभोलकर’ इस नारे से असंख्य दाभोलकर ज़िंदा हुए ! एक इंसान का ख़ून आप कर सकते हैं, एक विचार का नहीं …
शाखा के सदस्य विवेक बुद्धि में विश्वास रखने वाले असामान्य शक्ति के सामान्य लोग हैं । कोई रेटायअर्ड शिक्षक/ शिक्षिका, कोई बैंकर, कोई व्यवसायी, कोई विद्यार्थी, कोई शासकीय नौकर ; समाज के सब घटक इस विचारधारा से जुड़ रहे हैं ! वाक़ई में, जैसे डॉक्टर ( नरेंद्र दाभोलकर) ने कहा है ‘ हमारी शिक्षण प्रणाली विज्ञान तो पढ़ाती है, लेकिन विज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा नहीं करती ‘ ! तो फिर उस संविधान की उस Fundamental duty ( Article 51 A) का क्या, जिस के मुताबिक़
‘ It shall be the duty of every citizen of India(h) to develop the scientific temper, humanism and the spirit of inquiry and reform’ ? क्या शासन इस कर्तव्य की लाट को बढ़ाने के लिए proactive क़दम उठाएगा ?
महाराष्ट्र में पहल हुई – डॉक्टर का बलिदान व्यर्थ नहीं गया – महाराष्ट्र जादू टोना विरोधी क़ायदा पारित करने वाला पहला राज्य बना ।फिर कर्नाटक ने भी ऐसा क़ायदा पारित किया है ! बाक़ी राज्य भी करेंगे ? और उस क़ायदे के अनुपालन के लिए बाज़ की निगाह रखे काम कर रहे हैं अंनिस के कार्यकर्ता! सामाजिक बहिष्कार विरोधी क़ायदा पारित होने में भी अंनिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है ।
काम के नए innovative आयाम सामने आ रहे हैं .. जैसे सचिन थिटे नाम का कार्यकर्ता जुटा है ‘rational शादियाँ’ जुटाने में ! उस का कहना है ‘शादियाँ अपने यहाँ दो तरह से होती हैं – प्रेम में पड़ कर (inexplainable !) और पत्रियाँ / जाती वगरह मिला कर ! क्या एक तीसरा रैशनल तरीक़ा भी हो सकता है – जिस में rationally ये समझने का प्रयत्न किया जाए की आप की आदतें, आप के विचार कितने मिलते हैं !’ क्या ये क्रांतिकारक नहीं ? कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे की इस के बारे में आप को पहले क्यों पता नहीं चला? 🙂
इस तरह के अनेक पहलूओं पे अंनिस काम करती है ! मूर्ति विसर्जन के बारे में की हुई पहल – आज सर्व मान्य हुई है और लोगों ने अपने तरीक़े बदले हैं !
मीटिंग में नियोजन हुआ अगले शनिवार शमशान पर होने वाली बैठक का । इस बात के खंडन के लिए की अमावस्या को शमशान में भूत आते हैं ! मीटिंग में आने वाले बहुत से उत्सुक तरुण शायद कल अपने बच्चों को नहीं डराएँगे – ‘चुप कर नहीं तो भूत आ जाएगा ! शाखा की मीटिंग ख़त्म हुई सावित्री बाई फुले पर आधारित एक गीत से ( आज उन का स्मृति दिन है ) .. कुछ प्रेरणा, कुछ विचार बहुत कुछ कर जाते हैं !
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