आज गिरन गाँव की गलियों में घूमा। पहले पढ़ा ( आमची मुंबई outlook traveller में) – गिरगाँव । लेकिन फिर ध्यान से पढ़ा – ये गिरन ( textile mills) गाँव है – इस में लोअर परेल (phoenix mall वाला), कालाचौकी, लालबाग ( famous for लालबाग का राजा गणपति !) और भयखला (byculla) आता है। यहाँ पे दो अलग दुनिया दिखती है – एक पुरानी मिल्लों की – जो की अब मर चुकी हैं या oxygen पे हैं / और एक mallओं की – जो पूरी तरुनाई पे हैं । mall और बहुत सी corporate buidings/ towers की चमक धमक में आस पास की अनेक चौल पे शायद ध्यान भी ना जाए । ध्यान दिया तो एक धड़कती दुनिया वहाँ भी है । लोखंडी जाली से बाहर देखते आजोबा, या शाम को शर्ट तान के बाहर आए बाबा या दहलीज़ पे whatsapp में खोयी बहन या शिवाजीमहाराज के पंडाल की स्पर्धा लगते तरुण या बड़े बरगद के आस पास क्रिकेट खेलते बच्चे या बहुत छोटे बच्चे किलकारियाँ मारते ।चौल में जगह की कभी तंगी पहले महसूस नहीं हुई- मिल में शिफटों में काम होता था। अब दिक़्क़त है ।नीचे की छोटी दुकानें कितने ही घर चलाती होंगी। एकआधी नागोरी चाय दुकान पर तो white collared corporate लोग भी चाय और बन मस्का लेते होंगे । सड़क के इस पार चौल, उस पार sky rise इमारतें । बीच के bridge पे हाथ जोड़े हुए नेता जी के बेटे का पोस्टर । वो किस और है ? Sky rise buildings और corporate टावर्ज़ में आपत्ति नहीं है। चौल का लड़का/ लड़की पढ़ के, क़ाबिल बन के वहाँ नौकरी करना चाहता है , और करता भी है । आपत्ति सिर्फ़ ये हो सकती है की corporate में नौकरी के स्तर और चौल के स्तर में अंतर बहुत stark लगता है । भारत में 5 G की सुविधाएँ आएँ ज़रूर , लेकिन 2G भी तो सब को मिले। पुरानी सभ्यता,पुराने संस्कृति, पुराने व्यवसाय जब जाते हैं, तो ये सर्जरी काफ़ी bloody और दुखदायी भी हो सकती है । World one नाम का दुनिया का सब से ऊँचा residential टावर पुरानी श्रीनिवास मिल पे बन रहा है । करोरों रुपयों का हर एक flat यहाँ कुछ लोगों को luxury का एहसास दिलवाएगा । कहा जाता है की ये development २२ साल के court case के बाद शुरू हुआ जिस दौरान श्रीनिवास मिल के कुछ लोग तो स्वर्ग सिधार गए। phoenix mall (? best mall of Mumbai) के बारे में Darryl D’Monte का कहना है की उन्होंने मिल के मज़दूरों के लिए मनोरंजन की सुविधा के लिए अर्ज़ किया था, अब bowling alley और discotheque में मिल मज़दूरऔर उन के परिवार क्या जाएँगे ? तब के तो तमाशे भी जाते रहे – हनुमान थीयटर में 1946-1980 तक हर रोज़ तमाशा होता था – अब वो एक मंगल कार्यालय है जहाँ शादियाँ होती हैं ।
( Pic : World One tower)
( इस लेख की बहुत सी जानकारी Outlook Traveller आमची मुंबई पुस्तक के Sonia Nazareth द्वारा लिखे लेख Girangaon- From Mills to Malls से ली गयी है। मात्र भावनाएँ visit के आधार पे स्वतः की हैं 🙂
Very well said! So much of change and various facets of life co-exist, true feelings somewhere lost, somewhere suppressed, life goes on!
🙂