एक राज्य का मुख्यमंत्री I राजकीय विरोधी का रिश्तेदार IAS अफसर जो भ्रष्टाचारी भी है I अनाज के व्यापारियों को commission ले के अनाज देता है I मुख्यमंत्री के ईशारेपर पोलीस ने नियोजनबद तरीके से उस IAS अफसर को दबोचा I साथ ही मुख्यमंत्री की आँखो मे खटकनेवाला एक व्यापारी उस का नाम “म”समझे I कोशिश की उस से भी हिसाब पूरा हो I इस राजकीय गंदे खेल मे, पत्रव्यवहार मे आए एक नाम, उसे “क” कहें, जो की system का victim है I (अन्य व्यापारीयों की तरह उसे उस IAS अफसर को रिश्वत देनी पडती है I ) उसेभी arrest कर लिया जाता है I इस घटना से पहले बीसीयों मीटींगो में “क”सहित अन्य व्यापारीयोंने मुख्यमंत्री महोदय को बताया की उन्हे बिना रिश्वत दिए अनाज उपलब्ध होना चाहिए I मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने “क”को समझाया “क”साहेब, मुख्यमंत्री पैसे लेने के बारे में कुछ नहीं कर पाएंगे, आप का पैसे दे कर ही काम चलता रहेगा I “क”को SP साहेब ने arrest करने मे समय न लगाया I कोशिश थी की “क”, “म”का नाम ले ले I “क”ने नकार दिया I
2.“क”39 दिन जेल में रहा I गनीमत समझो (!) की जज ने पहले दिन ही पैसे खाए और “क”को Police custody की बजाए Judicial custody में भेजा I Jailor साहेब ने भी (पैसे खाकर) उपकार किया- “क”को बहुत बुरे cell में नही रखा-उन के cell में सिर्फ एक hardcore criminal था और उन को सिर्फ कच्छे बनैन मे रखा गया I एक और जज ने मेहरबानी कर दी – शिफारिश मान कर उन्हे छोड दिया- नही तो 2 महिने कोर्ट की छुट्टी की वजह से “क”उतना समय और जेल में रह जाता I बेल के बाद भी कई महीने “क”कोर्ट के चक्कर काटता रहा I IAS का केस होने की वजह से जज दिन भर केस के सब लोगों को खडा रखता I वह भी तो Powerful है I
3.“क”निर्दोष होने की वजह से आखरी इस से छूटा I बिना किसी गल्ती के एक व्यक्ति एखादा महिना Jail में रहा भी तो क्या I System पे उसे गुस्सा तो बहुत है, पर वो पूछता है, क्या कर सकते हैं ? उन के अनुभव मे System में नीचे के लगभग सब लोग पैसा खाते है I IAS अफसर, खासकर Direct IAS अफसर पैसा मांगनेवाले, एखादे ही उन्हे मिले I politicians लगभग सभी ने पैसा माँगा-एक एक से अलग पैसा माँगने की चतुराई है, जिससे Politician की Image खराब न हो I
4.“क”को किस ने exploit कीया I मुख्यमंत्री, जो power और नियम राजकीय कारणावश इस्तेमाल करता हैI भ्रष्टाचारी IAS ? या वे सब अधिकारी भी, जो चाहे स्वयं पैसा न लेते हों, लेकिन मुख्यमंत्री की ख्वाहिश उन के लिए पत्थर की लकीर बन जाती है I वो सब नेता और छोटे नौकरशाह (IAS शायद अब भी कुछ हद तक अपवाद है) या जज भी, जिन के लिए पैसा खाना जीने का Normal तरीका बन गया है I
It seems corruption is everywhere. I would like to comment on the decision of ‘Ka’. If he still continues to work in the same supply chain of corruption, he would also be counted as one amongst them. He proved his innocence and should say goodbye to all! Not only he is making a mockery of himself but wasting his true potential.
Hmmm.. we may listen to his perspective too 🙂